. . . मां . . .
"लाड" से "ललन" को,
"सवांरती" हैं... मां
प्यार से "बचपन" को,
"निहारती" हैं ... मां
"उलझन" में अपने "योवन" को
"गुजारती" हैं... मां
वो सारे सुख, "मन" से,
"बिसारती" हैं... मां
काटा हैं "वक्त" सारा,
घर की "देखभाल" में
"बिस्तर" पकड लिया हैं,
"पिच्चहतर" वे साल में
ओर............................
"एहसान" नही,
"सेवा प्यार"..... "मांगती" हैं... मां
जब..........................
"कर्ज'" "दूध" का,
"ललन" से "मांगती" हैं... मां
. . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . .
1 comment:
bhahut khoob sir kya bat hai ..... dil ko chu gaye ,,,,, app ki kavita
Post a Comment